आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "gore"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "gore"
ग़ज़ल
ख़मोशी में निहाँ ख़ूँ-गश्ता लाखों आरज़ूएँ हैं
चराग़-ए-मुर्दा हूँ मैं बे-ज़बाँ गोर-ए-ग़रीबाँ का
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ऐ सबा औरों की तुर्बत पे गुल-अफ़्शानी चंद
जानिब-ए-गोर-ए-ग़रीबाँ भी कभी आया कर
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
'अजब दुनिया-ए-हैरत आलम-ए-गोर-ए-ग़रीबाँ है
कि वीराने का वीराना है और बस्ती की बस्ती है
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
नसीम-ए-सुब्ह ठंडी साँस भरती है मज़ारों पर
उदासी मुँह-अँधेरे देखिए गोर-ए-ग़रीबाँ की
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
'अमीर' और आने वाला कौन है गोर-ए-ग़रीबाँ पर
जो रौशन शम्अ होती है तो हाँ परवाना आता है
अमीर मीनाई
ग़ज़ल
गोरे गोरे चाँद से मुँह पर काली काली आँखें हैं
देख के जिन को नींद आ जाए वो मतवाली आँखें हैं
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
ले गया था तरफ़-ए-गोर-ए-ग़रीबाँ दिल-ए-ज़ार
क्या कहें तुम से जो कुछ वाँ का तमाशा देखा