आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "gul-e-shaaKH-e-mohabbat"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "gul-e-shaaKH-e-mohabbat"
ग़ज़ल
गुल-ए-शाख़-ए-मोहब्बत पर लहू का रंग खिलता है
कि अब रंग-ए-हिना ज़िक्र-ए-लब-ओ-रुख़्सार आएगा
महताब हैदर नक़वी
ग़ज़ल
शाख़-ए-बुलंद-ए-बाम से इक दिन उतर के देख
अम्बार-ए-बर्ग-ओ-बार-ए-ख़िज़ाँ में बिखर के देख
अकबर हैदराबादी
ग़ज़ल
ख़ार-ओ-ख़स-ओ-ख़ाशाक तो जानें एक तुझी को ख़बर न मिले
ऐ गुल-ए-ख़ूबी हम तो अबस बदनाम हुए गुलज़ार के बीच
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
काट कर दस्त-ए-दुआ को मेरे ख़ुश हो ले मगर
तू कहाँ आख़िर ये शाख़-ए-बे-समर ले जाएगा
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
आह को बाद-ए-सबा दर्द को ख़ुशबू लिखना
है बजा ज़ख़्म-ए-बदन को गुल-ए-ख़ुद-रू लिखना