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ग़ज़ल
इश्क़ हूँ तो शम-ए-हुस्न-ए-यार का परवाना हूँ
हुस्न हूँ तो मैं चराग़-ए-का'बा-ओ-बुत-ख़ाना हूँ
बिस्मिल सईदी
ग़ज़ल
इश्क़ के अफ़्साने क्या हैं शरह-ए-हुस्न-ए-यार है
आइने गो मुख़्तलिफ़ हैं एक ही दीदार है
सलाहुद्दीन फ़ाइक़ बुरहानपुरी
ग़ज़ल
हिकायत-ए-हुस्न-ए-यार लिखना हदीस-ए-मीना-ओ-जाम कहना
अभी वही कार-ए-आशिक़ाँ है सुकूत-ए-ग़म का कलाम कहना
अज़ीज़ हामिद मदनी
ग़ज़ल
घड़ी भर रंग निखरा सूरत-ए-गुल-हा-ए-तर मेरा
उसी हस्ती पे उस गुलशन में था ये शोर-ओ-शर मेरा
मोहम्मद यूसुफ़ रासिख़
ग़ज़ल
हँस दिए ज़ख़्म-ए-जिगर जैसे कि गुल-हा-ए-बहार
मुझ पे माइल है बहुत नर्गिस-ए-शहला-ए-बहार
सुहैल काकोरवी
ग़ज़ल
वो दिलकशी तिरी क्या हुस्न-ए-यार बाक़ी है
शबाब बाक़ी न उस का ख़ुमार बाक़ी है