आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "gulsitaan"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "gulsitaan"
ग़ज़ल
दोस्तो उस चश्म ओ लब की कुछ कहो जिस के बग़ैर
गुलसिताँ की बात रंगीं है न मय-ख़ाने का नाम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
जिस तरफ़ भी चल पड़े हम आबला-पायान-ए-शौक़
ख़ार से गुल और गुल से गुलसिताँ बनता गया
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
कोई ग़ुंचा हो कि गुल हो कोई शाख़ हो शजर हो
वो हवा-ए-गुलसिताँ है कि सभी बिखर रहे हैं
उबैदुल्लाह अलीम
ग़ज़ल
गो हवा-ए-गुलसिताँ ने मिरे दिल की लाज रख ली
वो नक़ाब ख़ुद उठाते तो कुछ और बात होती
आग़ा हश्र काश्मीरी
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
ज़ुल्फ़ में ख़ुशबू न थी या रंग आरिज़ में न था
आप किस की आरज़ू में गुल्सिताँ तक आ गए
क़ाबिल अजमेरी
ग़ज़ल
राज़ इलाहाबादी
ग़ज़ल
मैं आज गुलसिताँ में बुला लूँ बहार को
लेकिन ये चाहता हूँ ख़िज़ाँ रूठ कर न जाए