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ग़ज़ल
जोश था हंगामा था महफ़िल में तेरी क्या न था
इक फ़क़त आदाब-ए-महफ़िल की निगह-दारी न थी
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
ये रू-ए-दरख़्शाँ ये ज़ुल्फ़ों के साए
ये हंगामा-ए-सुबह-ओ-शाम अल्लाह अल्लाह
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
ग़ज़ल
क्या कब्क को दिखलाते हो अंदाज़-ए-ख़िराम आह
हसरत-ज़दा-ए-शोख़ी-ए-रफ़्तार तो हम हैं
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
ख़त्म होने को है हंगामा-ए-तूफ़ान-ए-हयात
दर्द क्यों होता है काफ़ूर तुम्हें क्या मा'लूम
जुर्म मुहम्मदाबादी
ग़ज़ल
है रू-ए-ज़मीं अरसा-ए-महशर उन्हें हर रोज़
जो दिल-शुदा-ए-क़ामत-ओ-रफ़्तार हैं तेरे
हसरत अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
गर्म है हंगामा-ए-शाम-ओ-सहर मेरे लिए
रात दिन गर्दिश में हैं शम्स ओ क़मर मेरे लिए