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ग़ज़ल
हम-नशीं पूछ न हाल-ए-दिल-ए-नाकाम-ए-अज़ल
यही हसरत रही पूरा कोई अरमाँ न हुआ
पंडित जगमोहन नाथ रैना शौक़
ग़ज़ल
है दिल-ए-नाकाम-ए-आशिक़ में तुम्हारी याद भी
ये भी क्या घर है कि है बर्बाद भी आबाद भी
असग़र गोंडवी
ग़ज़ल
कमाल लखनवी
ग़ज़ल
उस से कहूँ मैं हाल-ए-दिल-ए-दाग़-दाग़ क्या
हँस कर जो ये कहे कि सजाया है बाग़ क्या
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
शरीक-ए-हाल-ए-दिल-ए-बे-क़रार आज भी है
किसी की याद मिरी ग़म-गुसार आज भी है
अलीम अख़्तर मुज़फ़्फ़र नगरी
ग़ज़ल
अब इस आह-ओ-फ़ुग़ाँ से ऐ दिल-ए-नाकाम क्या होगा
ये पहले सोचना था इश्क़ का अंजाम क्या होगा