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ग़ज़ल
मिरे दिल की अब ऐ अश्क-ए-नदामत शुस्त-ओ-शू कर दे
बस इतना कर के दुनिया से मुझे बे-आरज़ू कर दे
श्याम सुंदर लाल बर्क़
ग़ज़ल
कुछ नहीं अश्क-ए-नदामत के सिवा साइल के पास
शर्म आती है मुझे जाते हुए क़ातिल के पास
बशीरुद्दीन राज़
ग़ज़ल
दो अश्क जाने किस लिए पलकों पे आ कर टिक गए
अल्ताफ़ की बारिश तिरी इकराम का दरिया तिरा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
कारज़ार-ए-इश्क़-ओ-सर-मस्ती में नुसरत-याब हों
वो जुनूनी दार तक जाने को जो बेताब हूँ
अफ़ज़ल परवेज़
ग़ज़ल
सरापा रेहन-ए-इश्क़-ओ-ना-गुज़ीर-ए-उल्फ़त-ए-हस्ती
'इबादत बर्क़ की करता हूँ और अफ़्सोस हासिल का
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ऐ इश्क़-ए-फ़ित्ना-सामाँ कर दे तू हश्र बरपा
क्या ये नहीं क़यामत आलम है तेरा शैदा