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ग़ज़ल
हैसियत कुछ भी नहीं बस एक तिनके की तरह
फ़िक्र-ओ-फ़न के इस समुंदर में रवाँ मैं भी तो हूँ
नुसरत मेहदी
ग़ज़ल
मैं अपनी हैसियत से कुछ ज़ियादा ले के आया हूँ
मैं क़तरा हूँ मगर हमराह दरिया ले के आया हूँ