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ग़ज़ल
तमाम उम्र तिरा इंतिज़ार हम ने किया
इस इंतिज़ार में किस किस से प्यार हम ने किया
हफ़ीज़ होशियारपुरी
ग़ज़ल
पुराने दोस्तों से अब मुरव्वत छोड़ दी हम ने
मु'अज़्ज़िज़ हो गए हम भी शराफ़त छोड़ दी हम ने
शहज़ाद अहमद
ग़ज़ल
हम ने काटी हैं तिरी याद में रातें अक्सर
दिल से गुज़री हैं सितारों की बरातें अक्सर
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
कहा जो हम ने ''हमें दर से क्यूँ उठाते हो''
कहा कि ''इस लिए तुम याँ जो ग़ुल मचाते हो''