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ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
माँगूँ तो सही बोसा पर क्या है इलाज इस का
याँ होंट का हिल जाना वाँ बात का पा जाना
मीर मेहदी मजरूह
ग़ज़ल
इस क़दर डूबा हुआ दिल दर्द की लज़्ज़त में है
तेरा 'आशिक़ अंजुमन ही क्यूँ न हो ख़ल्वत में है
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
फिर उठाया जाऊँगा मिट्टी में मिल जाने के बाद
गरचे हूँ सहमा हुआ बुनियाद हिल जाने के बाद
इफ़्तिख़ार राग़िब
ग़ज़ल
लाँबी लाँबी फ़स्लों के तेवर से धरती हिल जाती है
जैसे माँ डर जाए अपनी नाज़ुक ख़ुद-सर बच्ची से
बशीर बद्र
ग़ज़ल
है हस्ती-ए-आशिक़ का बस इतना ही फ़साना
बर्बाद थी बर्बाद है बर्बाद रहेगी