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ग़ज़ल
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है
बिस्मिल अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
तुम्हें उस से मोहब्बत है तो हिम्मत क्यूँ नहीं करते
किसी दिन उस के दर पे रक़्स-ए-वहशत क्यूँ नहीं करते
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
तू अगर नज़र मिलाए, मिरा दम निकल ही जाए
तुझे देखने की हिम्मत कभी थी न है न होगी
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
ग़ज़ल
क्यूँ जीते-जी हिम्मत हारें क्यूँ फ़रियादें क्यूँ ये पुकारें
होते होते हो जाएगा आख़िर जो भी होना होगा
मीराजी
ग़ज़ल
ज़रूरत हो तो मर मिटने की हिम्मत हम भी रखते हैं
ये जुरअत ये शुजाअत ये बसालत हम भी रखते हैं
जोश मलसियानी
ग़ज़ल
ज़ियारत-गाह-ए-अहल-ए-अज़्म-ओ-हिम्मत है लहद मेरी
कि ख़ाक-ए-राह को मैं ने बताया राज़-ए-अलवंदी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
अपने में ही किसी की हो रू-ब-रूई मुझ को
हूँ ख़ुद से रू-ब-रू हूँ हिम्मत नहीं है मुझ में
जौन एलिया
ग़ज़ल
मेरी हिम्मत देखना मेरी तबीअत देखना
जो सुलझ जाती है गुत्थी फिर से उलझाता हूँ मैं