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ग़ज़ल
इस में नहीं है दख़्ल कोई ख़ौफ़ ओ हिर्स का
इस की जज़ा, न इस की सज़ा है, ये इश्क़ है
इरफ़ान सत्तार
ग़ज़ल
रहे हिर्स-ओ-हवा दाइम 'अज़ीज़ो साथ जब अपने
न क्यूँकर फ़िक्र-ए-बेश-ओ-कम हमें भी हो तुम्हें भी हो
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ये हिर्स-ओ-हवा की मंज़िल है ऐ राह-रवो हुश्यार ज़रा
जब हाथ रुपहले बढ़ते हैं रहबर के क़दम बिक जाते हैं
शमीम करहानी
ग़ज़ल
क्या फ़ाएदा गर हिर्स करे ज़र की तू नादाँ
कुछ हिर्स से क़ारूँ का ख़ज़ाना नहीं मिलता
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
हवा में फिरते हो क्या हिर्स और हवा के लिए
ग़ुरूर छोड़ दो ऐ ग़ाफ़िलो ख़ुदा के लिए
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
हिर्स के फैलते हैं पाँव ब-क़द्र-ए-वुसअत
तंग ही रहते हैं दुनिया में फ़राग़त वाले
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
क्या ख़बर ज़ाहिद-ए-क़ाने को कि क्या चीज़ है हिर्स
उस ने देखी ही नहीं कीसा-ए-ज़र की सूरत