आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "hushyaar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "hushyaar"
ग़ज़ल
ज़िंदा हूँ मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीं बाक़ी
हर-चंद कि हूँ होश में हुश्यार नहीं हूँ
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
कहीं बोसे की मत जुरअत दिला कर बैठियो उन से
अभी इस हद को वो कैफ़ी नहीं हुश्यार बैठे हैं
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
गले में ज़िंदगी के रीसमान-ए-वक़्त है तो क्या
परिंदे क़ैद में हों तो बहुत हुश्यार होते हैं
अब्बास क़मर
ग़ज़ल
ले रहा है दर-ए-मय-ख़ाना पे सुन-गुन वाइ'ज़
रिंदो हुश्यार कि इक मुफ़सिदा-पर्दाज़ आया
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
हर फ़रेब-ए-ग़म-ए-दुनिया से ख़बर-दार तो है
तेरा दीवाना किसी काम में हुश्यार तो है
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
मस्त है हाल में दिल बे-ख़बर-ए-मुस्तक़बिल
सोचता हूँ उसे हुश्यार करूँ या न करूँ
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
ग़ज़ल
ये लफ़्ज़-ए-सालिक-ओ-मज्ज़ूब की है शरह ऐ 'बेदम'
कि इक हुश्यार-ए-ख़त्म-उल-मुर्सलीं और एक दीवाना
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
ये हिर्स-ओ-हवा की मंज़िल है ऐ राह-रवो हुश्यार ज़रा
जब हाथ रुपहले बढ़ते हैं रहबर के क़दम बिक जाते हैं
शमीम करहानी
ग़ज़ल
कुछ मेहर-ए-क़यामत है न कुछ नार-ए-जहन्नम
हुश्यार कि वो क़हर-ओ-ग़ज़ब और ही कुछ है
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
अपनी जेबों से रहें सारे नमाज़ी हुश्यार
इक बुज़ुर्ग आते हैं मस्जिद में ख़िज़र की सूरत