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ग़ज़ल
उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
बड़े शौक़ से मिरा घर जला कोई आँच तुझ पे न आएगी
ये ज़बाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है
बशीर बद्र
ग़ज़ल
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
एक मद्धम आँच सी आवाज़ सरगम से अलग कुछ
रंग इक दबता हुआ सा पूरे मंज़र में अकेला