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ग़ज़ल
'हबीब' आए कहाँ से ताज़गी नख़्ल-ए-मज़ामीं में
जहाँ तक देखिए है यक-क़लम ये गुल-ज़मीं पत्थर
हबीब मूसवी
ग़ज़ल
हज़ारों की जान ले चुका है ये चेहरा ज़ेर-ए-नक़ाब हो कर
मगर क़यामत करोगे बरपा जो निकलोगे बे-हिजाब हो कर
आसी ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
दिल में मिरे ख़याल-ए-रुख़-ए-मह-जबीं रहा
साया परी का शीशे में सूरत-गुज़ीं रहा