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ग़ज़ल
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
किस मंज़र-ए-इसबात के होंटों की ज़िया हूँ
किस चुप की मैं आवाज़-ए-फ़रावाँ हूँ बताओ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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किस मंज़र-ए-इसबात के होंटों की ज़िया हूँ
किस चुप की मैं आवाज़-ए-फ़रावाँ हूँ बताओ
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