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ग़ज़ल
आह लबों पर अश्क आँखों में ये अपना सरमाया है
रोज़-ए-अज़ल से हम तो उसे सीने से लगाए फिरते हैं
प्रेम पाल अश्क
ग़ज़ल
इश्क़-ए-अज़ल है सज्दा-ए-तौहीद की नज़र
हम बे-क़रार जलते हैं दौलत के रू-ब-रू
सय्यद सद्दाम गीलानी मुराद
ग़ज़ल
रोज़-ए-अज़ल हो या अबद दोनों हैं हम-कनार-ए-इश्क़
इश्क़ है राज़-दार-ए-हुस्न हुस्न है राज़दार-ए-इश्क़
अब्दुल मजीद दर्द भोपाली
ग़ज़ल
गर तिरी पलकों से ये अश्क-ए-रवाँ गिर जाएगा
मेरे इस नाज़ुक से दिल पर आसमाँ गिर जाएगा
नाज़िम ज़रसिनर
ग़ज़ल
दाग़-ए-फ़िराक़ ज़ख़्म-ए-वफ़ा अशक-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ
रोज़-ए-अज़ल से हैं यही जागीरें इश्क़ की
साग़र सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
कहीं दीवार-ए-क़यामत कभी ज़ंजीर-ए-अज़ल
क्या करो इश्क़-ए-ज़ियाँ-ए-केश में और क्या न करो
महबूब ख़िज़ां
ग़ज़ल
तुझ को क़स्साम-ए-अज़ल देना न था ये इश्क़-ए-ख़ाम
काश दिल के साथ देता सोज़-ए-परवाना मुझे
ज़ब्त सीतापुरी
ग़ज़ल
दर्दमंदान-ए-अज़ल पर इश्क़ का एहसाँ नहीं
दर्द याँ दिल से गया कब था कि पैदा कर दिया
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
उल्फ़त न कुछ परी से न कुछ हूर से है इश्क़
मुश्ताक़ 'बर्क़' रोज़-ए-अज़ल से है यार का