आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "jag"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "jag"
ग़ज़ल
तिरे मनचलों का जग में ये अजब चलन रहा है
न किसी की बात सुनना, न किसी से बात करना
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
ग़ज़ल
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
जाने क्या क्या बोल रहा था सरहद प्यार किताबें ख़ून
कल मेरी नींदों में छुप कर जाग रहा था जाने कौन
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
हम कहते हैं ये जग अपना है तुम कहते हो झूटा सपना है
हम जन्म बिता कर जाएँगे तुम जन्म गँवा कर जाओगे