aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jahaa.n-numaa"
इब्तिदा में जहाँ-नुमा हुआ मैंबाद में क़ाफ़िला-ज़दा हुआ मैं
दिल अपने रंज-ओ-ग़म से जाम-ए-जहाँ-नुमा थाअब आप ही बताएँ अच्छा था या बुरा था
पैक-ए-ख़याल भी है अजब क्या जहाँ-नुमाआया नज़र वो पास जो अपने से दूर था
न क्यूँ हो साहिब-ए-जाम-ए-जहाँ-नुमा को हसदशराब से मुझे अपना सुराग़ मिलता है
देखे जो मुझे जहाँ को देखेमैं आइना-ए-जहाँ-नुमा हूँ
जैसा जाम-ए-जहाँ-नुमा है दिलसैर वो कब है साग़र-ए-जम में
तू आइने पे न अपने कर ऐ सिकंदर नाज़कि हम भी रखते हैं जाम-ए-जहाँ-नुमा दिल का
इसी आइने में किरन किरन किसी हूर-वश की तजल्लियाँयही दिल है जाम-ए-जहाँ-नुमा यही दिल है ख़ुल्द-ए-बरीं मिरी
यानी बना के चश्म को सूरत-ए-शीशा-ए-हुबाबसाहिब-ए-ज़र्फ़ था जो दिल जाम-ए-जहाँ-नुमा किया
ख़ुद अपनी निगाह से हूँ रू-पोशआइना हूँ जहाँ-नुमा हूँ
वो आँख बड़ी जहाँ-नुमा हैउस आँख से क्या छुपाएँगे हम
जहाँ-नुमा तो है साक़ी-नुमा नहीं 'नातिक़'बदल के ले गया जमशेद मेरा पैमाना
नहीं है मुझ को ऐ जमशेद तेरे जाम से कामजहाँ-नुमा है मुझे अपने ख़ुश-ख़िराम से काम
अजीब राह पे लाए गए हैं लोग जहाँहुजूम-ए-कैफ़ भी लगता है हादसात-नुमा
आलाम-ए-रोज़गार का मुँह ज़र्द हो गयाहर ज़ख़्म का इलाज तिरा दर्द हो गया
कैसे जानूँ कि जहाँ ख़्वाब-नुमा होता हैजबकि हर शख़्स यहाँ आबला-पा होता है
अगर जहान-ए-ख़ुश-नुमा फ़रेब हैतो सब फ़रेब है ख़ुदा ख़याल है
जो मुर्ग़-ए-क़िबला-नुमा बन के आशियाँ से चलेतड़प तड़प के वहीं रह गए जहाँ से चले
हाथ आए तो वही दामन-ए-जानाँ हो जाएछूट जाए तो वही अपना गरेबाँ हो जाए
जिन्हें रास आ गए हैं ये सहर-नुमा अँधेरेये तलाश-ए-सुब्ह-ए-नौ में कभी हम-सफ़र थे मेरे
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