aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jalne"
सुना है उस के लबों से गुलाब जलते हैंसो हम बहार पे इल्ज़ाम धर के देखते हैं
उस की ख़ुशियों से जलने वाला 'जौन'अपनी ईज़ा-दही को भूल गया
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
परवानों ने फ़ानूस को देखा तो ये बोलेक्यूँ हम को जलाते हो कि जलने नहीं देते
रक़्स में होगी एक परछाईंदीप जलने के ब'अद क्या होगा
ख़ून-ए-उश्शाक़ से जाम भरने लगे दिल सुलगने लगे दाग़ जलने लगेमहफ़िल-ए-दर्द फिर रंग पर आ गई फिर शब-ए-आरज़ू पर निखार आ गया
ज़ख़्म-ए-नग़्मा भी लौ तो देता हैइक दिया रह गया जलाने को
ज़मीं ने कर लिया क्या तीरगी से समझौताख़याल छोड़ चुके क्या चराग़ जलने का
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगेजाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
सिलसिला ख़त्म हुआ जलने जलाने वालाअब कोई ख़्वाब नहीं नींद उड़ाने वाला
उड़ गया तो शाख़ का सारा बदन जलने लगाधूप रख ली थी परिंदे ने परों के दरमियाँ
चाँद में ढलने सितारों में निकलने के लिएमैं तो सूरज हूँ बुझूँगा भी तो जलने के लिए
बे-हद ग़म हैं जिन में अव्वल उम्र गुज़र जाने का ग़महर ख़्वाहिश का धीरे धीरे दिल से उतर जाने का ग़म
दिल के जलने का अगर अब भी ये अंदाज़ रहाफिर तो बन जाएँगे इक दिन ये शरारे आँसू
मैं भी होंटों से कहूँगा कम करें जलने का शौक़आप अगर सरगर्मी-ए-रुख़्सार कम कर दीजिए
बयान-ए-शम्अ है हासिल यही है जलने काफ़ना की कैफ़ियतें देख झिलमिलाने में
न जलने पाते थे जिस के चूल्हे भी हर सवेरेसुना है कल रात से वो बस्ती भी जल रही है
होते ही शाम जलने लगा याद का अलावआँसू सुनाने दुख की कहानी निकल पड़े
भड़के है आतिश-ए-ग़म मंज़ूर है जो तुझ कोजलने का आशिक़ों के आ देख अब तमाशा
वो शोला नहीं जो बुझ जाए आँधी के एक ही झोंके सेबुझने का सलीक़ा आसाँ है जलने का क़रीना मुश्किल है
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