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ग़ज़ल
जवाब-ए-अब्र-ए-नैसाँ तुझ को हम ने चश्म-ए-तर जाना
कि हर इक क़तरा-ए-अश्क-ए-चकीदा को गुहर जाना
तिलोकचंद महरूम
ग़ज़ल
ज़मीन-ए-इश्क़ पे ऐ अब्र-ए-ए'तिबार बरस
विसाल-ए-यार का बह जाए इंतिज़ार बरस
सय्यद तम्जीद हैदर तम्जीद
ग़ज़ल
दिल-ए-पज़-मुर्दा को हम-रंग-ए-अब्र-ओ-बाद कर देगा
वो जब भी आएगा इस शहर को बर्बाद कर देगा
जमाल एहसानी
ग़ज़ल
नूर-ए-मह को शब तह-ए-अब्र-ए-तनक क्या लाफ़ था
बाल उस मुखड़े से उठ जाते तो मतला साफ़ था
ममनून निज़ामुद्दीन
ग़ज़ल
मिरी आँखों की दुर-अफ़्शानियाँ मशहूर-ए-आलम हैं
अज़ल ही से मैं ख़ू-ए-अब्र-ए-नैसाँ ले के आया हूँ
मुसव्विर करंजवी
ग़ज़ल
मुजीब ख़ैराबादी
ग़ज़ल
अर्शी भोपाली
ग़ज़ल
दामन पे गिर रहे हैं ऐ 'अब्र' अश्क-ए-रंगीं
लिखता हूँ ख़ून-ए-दिल से अफ़्साना ज़िंदगी का