आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "jazba-e-hubb-e-vatan"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "jazba-e-hubb-e-vatan"
ग़ज़ल
कहाँ का जज़्बा-ए-हुब्ब-ए-वतन कहाँ का ख़ुलूस
बस इक़्तिदार का चक्कर है क्या किया जाए
फ़ाख़िर जलालपुरी
ग़ज़ल
क़लम को मुस्तइद-ए-हुब्ब-ए-जाह लिख लीजे
मिरे गुनाहों में और इक गुनाह लिख लीजे
मोहम्मद तारिक़ ग़ाज़ी
ग़ज़ल
अब वो रंग-ए-बादा-ए-उल्फ़त इलाही क्या हुआ
जोशिश-ए-हुब्ब-ए-वतन जो दिल के पैमाने में था
प्यारे लाल रौनक़ देहलवी
ग़ज़ल
इधर आओ मय-ए-हुब्ब-ए-वतन की चाशनी चक्खो
सदा 'कैफ़ी' की है ये ख़्वाहिश-ए-जाम-ए-फ़ुग़ाँ कब तक
दत्तात्रिया कैफ़ी
ग़ज़ल
जो भी हैं सुब्ह-ए-वतन ही के परस्तारों में हैं
किन से हम ऐ शाम-ए-ग़ुर्बत तेरा अफ़्साना कहें
कँवल एम ए
ग़ज़ल
जज़्बा-ए-शौक़ का इज़हार न होने पाए
दिल की बे-ताबियाँ नज़रों से गिरा देती हैं
शान-ए-हैदर बेबाक अमरोहवी
ग़ज़ल
जानते हैं जुज़्व है ईमान का हुब्ब-ए-वतन
बे-तरह भूले वतन हैं क्या हुआ उस्ताद को
मोहम्मद इब्राहीम आजिज़
ग़ज़ल
जानते हैं जुज़्व है ईमान का हुब्ब-ए-वतन
बे-तरह भूले वतन हैं क्या हुआ उस्ताद को
मोहम्मद इब्राहीम आजिज़
ग़ज़ल
है जिन्हें सब से ज़ियादा दा'वा-ए-हुब्बुल-वतन
आज उन की वज्ह से हुब्ब-ए-वतन रुस्वा तो है