aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jharoke"
इक सदा आई झरोके से कि तुम कैसे होफिर मुझे लौट के जाने में बड़ी देर लगी
दिल को अब तुझ से जुदा हो कर भी जीना आ गयाइस झरोके में हवा का ताज़ा झोंका आ गया
रफ़्तार से ताबिंदा उमीदों के झरोकेठहरूँ तो हर इक सम्त अँधेरा नज़र आए
पोटली जिस के लिए लड़ती रहीं औलादेंमाँ की उस पोटली में सिर्फ़ झरोके निकले
वो झरोके पर्दों में बंद हैं वो तमाम गलियाँ उदास हैंकभी ख़्वाब में सर-ए-रहगुज़र न तो आए तुम न तो आए हम
क्या वो नज़रों को झरोके में मुअ'ल्लक़ कर देंजो तिरे साया-ए-दीवार तक आ पहुँचे हैं
धीमी बारिश की लय में अहवाल सुनाते रहनाउस का एक झरोके में फिर शाल सुखाते रहना
अमीर-ए-शहर तो ख़ुद ज़र्द-रू था एक मुद्दत सेझरोके से वो अहल-ए-शहर को दीदार क्या देता
इस तरफ़ हैं कि झरोके में उधर बैठे हैंजाएज़ा कुश्तों का अपने वो किधर लेते हैं
इक दर्द सा पहलू में मचलता है सर-ए-शामजब चाँद झरोके में निकलता है सर-ए-शाम
मेरी आँखों के क्यूँ झरोके तकआ के चुप-चाप सी खड़ी थी नींद
अब चाँद का अरमाँ भी सर-ए-शाम नहीं हैआँखों के झरोके भी शिकायत नहीं करते
मुद्दतों बा'द वो गलियाँ वो झरोके देखेजिस्म की राख से उठते हुए शो'ले देखे
अश्कों के झरोके में भी दर आई है अक्सरहैरान तबस्सुम में बसी यार की ख़ुश्बू
झरोके गर खुले होतेयहाँ भी रौशनी होती
रोओगे झरोके में तुम हिचकियाँ ले ले करऐ यार कभी ज़ेर-ए-दीवार जो मैं रोया
पुतलियाँ मिरे नयन के झरोके में बैठ करबेकल हो झाँकती है पियारा कब आएगा
कर्ब एहसास कराता है ख़ुदी के दर्शनज़ो'म-ए-हस्ती के झरोके में सजाता है मुझे
एक दिन नैन झरोके की तरफ़ सीं गुज़रोमर्दुम-ए-चश्म है मुहताज मिरी आँखों में
बोले वो मेरी क़ब्र झरोके से झाँक करये शख़्स मर के भी पस-ए-दीवार ही रहा
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