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ग़ज़ल
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
उस के ही बाज़ुओं में और उस को ही सोचते रहे
जिस्म की ख़्वाहिशों पे थे रूह के और जाल भी
परवीन शाकिर
ग़ज़ल
कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं देखना उन्हें ग़ौर से
जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई कि ये रास्ता कोई और है
सलीम कौसर
ग़ज़ल
कई अजनबी तिरी राह में मिरे पास से यूँ गुज़र गए
जिन्हें देख कर ये तड़प हुई तिरा नाम ले के पुकार लूँ
बशीर बद्र
ग़ज़ल
जिसे कहती है दुनिया कामयाबी वाए नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
तहज़ीब हाफ़ी
ग़ज़ल
वो गुल हूँ ख़िज़ाँ ने जिसे बर्बाद किया है
उलझूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार नहीं हूँ