आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kaakh"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kaakh"
ग़ज़ल
काख़-ओ-ऐवाँ यही गुज़रे हुए दौरों के न हों
गर्द सी आई है कुछ दामन-ए-अय्याम के साथ
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
कज-रवाँ नक़्श-ए-कफ़-ए-पा को मिटाने के बा'द
कितने सादा हैं कि नक़्श-ए-कफ़-ए-पा चाहते हैं
रशीद कौसर फ़ारूक़ी
ग़ज़ल
अजनबी नज़रों के शोले हर तरफ़ फैले हुए
दुश्मन-ए-जाँ राह ओ मंज़िल काख़-ओ-कू मैं और तू
ख़ातिर ग़ज़नवी
ग़ज़ल
मा-सिवा अल्लाह न रहे 'शेफ़्ता' हरगिज़ दिल में
ख़ुसरवी काख़ सज़ा-ए-ख़स-ओ-ख़ाशाक नहीं