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ग़ज़ल
है सफ़र में कारवान-बहर-ओ-बर किस के लिए
हो रहा है एहतिमाम-ए-ख़ुश्क-ओ-तर किस के लिए
मोहम्मद ख़ालिद
ग़ज़ल
जरस है कारवान-ए-अहल-ए-आलम में फ़ुग़ाँ मेरी
जगा देती है दुनिया को सदा-ए-अल-अमाँ मेरी
सीमाब अकबराबादी
ग़ज़ल
बाग़ तक क्या कारवान-ए-हुस्न-ए-बे-परवा गया
बू परेशाँ है रुख़-ए-गुल को पसीना आ गया
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ज़ल
क्या कारवान-ए-हस्ती गुज़रा रवा-रवी में
फ़र्दा को मैं ने देखा गर्द-ओ-ग़ुबार-ए-दी में
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
हनीफ़ असअदी
ग़ज़ल
गामज़न ऐसे सफ़र पर था 'करन' बिल-आख़िर
उस की मंज़िल थी फ़क़त दार-ओ-रसन राह-गुज़र