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ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ग़लत है जज़्ब-ए-दिल का शिकवा देखो जुर्म किस का है
न खींचो गर तुम अपने को कशाकश दरमियाँ क्यूँ हो
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
तुम को भी हम दिखाएँ कि मजनूँ ने क्या किया
फ़ुर्सत कशाकश-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ से गर मिले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ख़ुदा शरमाए हाथों को कि रखते हैं कशाकश में
कभी मेरे गरेबाँ को कभी जानाँ के दामन को
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
अंजाम-ए-कशाकश होगा कुछ देखें तो तमाशा दीवाने
या ख़ाक उड़ेगी गर्दूं पर या फ़र्श पे तारे निकलेंगे
अलीम मसरूर
ग़ज़ल
दीप्ति मिश्रा
ग़ज़ल
कशाकश-हा-ए-हस्ती से करे क्या सई-ए-आज़ादी
हुइ ज़ंजीर-ए-मौज-ए-आब को फ़ुर्सत रवानी की
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
कशाकश है उम्मीद-ओ-यास की ये ज़िंदगी क्या है
इलाही ऐसी हस्ती से तो अच्छा था अदम मेरा
चकबस्त बृज नारायण
ग़ज़ल
इस कशाकश में कहाँ जाँ के लिए जा-ए-अमाँ
दिल है मेहराब-ए-हरम मैं ख़म-ए-अबरू दिल पर
सय्यद अमीन अशरफ़
ग़ज़ल
देखें इस कशाकश का इख़्तिताम हो कब तक
जागने की ख़्वाहिश है हौसला है ख़्वाबों का