आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kashish"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kashish"
ग़ज़ल
बहुत बेबाक आँखों में त'अल्लुक़ टिक नहीं पाता
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
हिजरतों का ख़ौफ़ था या पुर-कशिश कोहना मक़ाम
क्या था जिस को हम ने ख़ुद दीवार-ए-जादा कर लिया