आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kataa.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kataa.n"
ग़ज़ल
इश्क़-ए-गुल में वही बुलबुल का फ़ुग़ाँ है कि जो था
परतव-ए-मह से वही हाल-ए-कताँ है कि जो था
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
ये इश्तियाक़-ए-शहादत में महव था दम-ए-क़त्ल
लगे हैं ज़ख़्म बदन पर कहाँ नहीं मा'लूम
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
मगर लिखवाए कोई उस को ख़त तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
लाख पर्दे से रुख़-ए-अनवर अयाँ हो जाएगा
पर्दा खुल जाएगा हर पर्दा कताँ हो जाएगा
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
ग़ज़ल
कोई ढूँढता कताँ के तईं यारो पर है ग़म
मिलता कहीं नहीं दिल-ए-आगाह क्या करे
मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार
ग़ज़ल
मोजिज़-ए-शक़्क़ुल-क़मर दिखलाएगी अंगुश्त-ए-हुस्न
चाँद तेरे परतवे से ख़ुद कताँ हो जाएगा
क़द्र बिलग्रामी
ग़ज़ल
हम को कफ़न उसी का लाज़िम है माह-रू याँ
उल्फ़त का परतव-आसा हम ने कताँ में देखा
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
ग़ज़ल
मैं मजनूँ देखते ही मर गया इस रश्क-ए-लैला को
कफ़न के वास्ते गोया फटा था पर्दा महमिल का