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ग़ज़ल
न होगा सोज़-ए-दिल शायद किसी सूरत भी कम मेरा
मुझे आज़ाद कर अब ज़िंदगी घुटता है दम मेरा
यासिर रामपूरी
ग़ज़ल
सितम है तेरे 'आशिक़ के लिए बीमार हो जाना
बड़ी आफ़त है दिल के हाथ से नाचार हो जाना
जमीला ख़ुदा बख़्श
ग़ज़ल
हर उज़्व मुसाफ़िर है नहीं कुछ सफ़री आँख
है आख़िर-ए-शब उम्र चराग़-ए-सहरी आँख
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर
ग़ज़ल
ग़ुबार भट्टी
ग़ज़ल
आशिक़-ए-गेसू-ओ-क़द तेरे गुनहगार हैं सब
मुस्तहिक़ दार के फाँसी के सज़ा-वार हैं सब