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ग़ज़ल
कुछ तो पाएँगे उस की क़ुर्बतों का ख़म्याज़ा
दिल तो हो चुके टुकड़े अब सरों की बारी है
मंज़र भोपाली
ग़ज़ल
ख़्वाहिशों का ख़म्याज़ा ख़्वाब क्यूँ भरें 'आदिल'
आज मेरी आँखों से रत-जगा अलग रखना
आदिल रज़ा मंसूरी
ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़ है साक़ी ख़ुमार-ए-तिश्ना-कामी भी
जो तू दरिया-ए-मै है तो मैं ख़म्याज़ा हूँ साहिल का
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
रहम खा कर 'अर्श' उस ने इस तरफ़ देखा मगर
ये भी दिल दे बैठने का मुझ को ख़म्याज़ा लगा
अर्श सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
कहाँ हम भी रग-ओ-पै रखते हैं इंसाफ़ बहत्तर है
न खींचे ताक़त-ए-ख़म्याज़ा तोहमत ना-तवानी की
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
'असद' वहशत-परस्त-ए-गोशा-ए-तन्हाई-ए-दिल है
ब-रंग-ए-मौज-ए-मय ख़म्याज़ा-ए-साग़र है रम मेरा
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
शब ख़ुमार-ए-शौक़-ए-साक़ी रुस्तख़ेज़-अंदाज़ा था
ता-मुहीत-ए-बादा सूरत ख़ाना-ए-ख़म्याज़ा था
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ज़र्फ़-ए-दिल देखा तो आँखें कर्ब से पथरा गईं
ख़ून रोने की तमन्ना का ये ख़म्याज़ा न था
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
बंद-ए-क़बा को ख़ूबाँ जिस वक़्त वा करेंगे
ख़म्याज़ा-कश जो होंगे मिलने के क्या करेंगे
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
दिलों को दर्द की तहज़ीब से आबाद रखती है
मोहब्बत में किसी को कोई ख़म्याज़ा नहीं होता
अशफ़ाक़ हुसैन
ग़ज़ल
नतीजों से भरी दुनिया में पैदा होने वालों का
भरोसा तो बहुत होता है ख़म्याज़ा नहीं होता