आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khasaare"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "khasaare"
ग़ज़ल
कब अहल-ए-वफ़ा जान की बाज़ी नहीं हारे
कब इश्क़ में जानों के ख़सारे नहीं निकले
राजेन्द्र नाथ रहबर
ग़ज़ल
ये कारोबार-ए-उल्फ़त है यहाँ दिल को बड़ा रखना
मोहब्बत की तिजारत में ख़सारे लाज़मी होंगे