आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khii.nchne"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "khii.nchne"
ग़ज़ल
सदाक़त हो तो दिल सीनों से खिंचने लगते हैं वाइ'ज़
हक़ीक़त ख़ुद को मनवा लेती है मानी नहीं जाती
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
नाज़ुकी को इश्क़ में क्या दख़्ल है ऐ बुल-हवस
याँ सऊबत खींचने को जी में ताक़त चाहिए
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
ख़ाना-बदोशी एक हुनर है रफ़्ता रफ़्ता आएगा
रंज-ए-मसाफ़त खींचने वालो शाद रहो आबाद रहो