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ग़ज़ल
भिक्षु-दानी, प्यासा पानी, दरिया सागर, जल गागर
गुलशन ख़ुशबू, कोयल कूकू, मस्ती दारू, मैं और तू
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
ये बूँदें पहली बारिश की, ये सोंधी ख़ुशबू माटी की
इक कोयल बाग़ में कूकी है, आवाज़ यहाँ तक आई है
अज़ीज़ नबील
ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
कोयल तो पत्थर के डर से आख़िर को उड़ जाएगी
बादल तो पागल है उस को कैसे तुम समझाओगे
फ़र्रुख़ ज़ोहरा गिलानी
ग़ज़ल
पी पी पपीहे बोलते होंगे कानों में रस घोलते होंगे
ठुमरी होगी कोयल की कू कजरी कागा की काओं रे