आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "laala"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "laala"
ग़ज़ल
चमन में लाला दिखाता फिरता है दाग़ अपना कली कली को
ये जानता है कि इस दिखावे से दिल-जलों में शुमार होगा
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
गुल-फ़िशानी-हा-ए-नाज़-ए-जल्वा को क्या हो गया
ख़ाक पर होती है तेरी लाला-कारी हाए हाए
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
फिर चराग़-ए-लाला से रौशन हुए कोह ओ दमन
मुझ को फिर नग़्मों पे उकसाने लगा मुर्ग़-ए-चमन
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
दाग़-ए-दिल निकलेंगे तुर्बत से मिरी जूँ लाला
ये वो अख़गर नहीं जो ख़ाक में पिन्हाँ होंगे
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
दिल है दाग़ जिगर है टुकड़े आँसू सारे ख़ून हुए
लोहू पानी एक करे ये इश्क़-ए-लाला-अज़ाराँ है