आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "laq"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "laq"
ग़ज़ल
सू लिख लिख कर परेशाँ हो क़लम लट आप कहते हैं
मुक़ाबिल ऊस के होसे न लिखेंगे गर दो लक मिसरा
क़ुली क़ुतुब शाह
ग़ज़ल
कभी तो सुब्ह तिरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले