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ग़ज़ल
कहीं तो लुटना है फिर नक़्द-ए-जाँ बचाना क्या
अब आ गए हैं तो मक़्तल से बच के जाना क्या
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
आख़िरी शो से लौटने वाले भी ग़ाएब हो जाते हैं
मैं जाने किन तस्वीरों में कब तक खोया रहता हूँ
अमीक़ हनफ़ी
ग़ज़ल
रात का अपना इक तक़द्दुस है सो उसे पाएमाल मत करना
जब दिए गुफ़्तुगू के रौशन हों लौटने का सवाल मत करना
ख़ालिद मोईन
ग़ज़ल
फ़क़ीरों को कभी दर से न ख़ाली लौटने देना
दुआएँ देते हैं ख़ैरात जब मिस्कीन लेते हैं