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ग़ज़ल
ज़ोहद किस किस ने लुटाए हैं तुम्हें क्या मालूम
आज वो क्या नज़र आए हैं तुम्हें क्या मालूम
सैफ़ुद्दीन सैफ़
ग़ज़ल
हुस्न है इश्क़-ए-आफ़रीं हुस्न पे दिल लुटाए जा
इश्क़ को दर्द-ए-दिल बना दर्द को दिल बनाए जा
बिस्मिल सईदी
ग़ज़ल
जिन बुज़ुर्गों ने लुटाए जान-ओ-दिल इस्लाम पर
उन के बच्चों में ये ग़द्दारी कहाँ से आ गई
नफ़ीसा सुल्ताना अंना
ग़ज़ल
दौलत सब्र-ओ-सुकूँ गौहर-ए-अश्क-ए-रंगीं
हम ने ग़ुर्बत में लुटाए हैं ख़ज़ाने क्या क्या
शारिब लखनवी
ग़ज़ल
आ देख ज़िंदगी तिरी 'इज़्ज़त के वास्ते
ज़ख़्मी लबों से हम ने तबस्सुम लुटाए हैं
ख़ुर्शीद अहमद मलिक
ग़ज़ल
एहतिरामन तिरे क़दमों पे लुटाए अक्सर
जितने मोती भी हमें दिल के ख़ज़ाने से मिले