आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maddaah"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "maddaah"
ग़ज़ल
सर-ए-तस्लीम है ख़म इज़्न-ए-उक़ूबत के बग़ैर
हम तो सरकार के मद्दाह हैं ख़िलअत के बग़ैर
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
मद्दाह-ए-ख़ाल-ए-रू-ए-बुताँ हूँ मुझे ख़ुदा
बख़्शे तो क्या अजब कि वो नुक्ता-नवाज़ है
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
जो मद्दाह-ए-नबी पर ता'ना-ज़न मुम्ताज़ होते हैं
दिखाएँ शे'र अपने और मिरे अशआ'र आ देखें
अब्दुल हलीम शरर
ग़ज़ल
आशिक़ हुए तो इश्क़ में होश्यार क्यूँ न थे
हम इन के मदह-ख़्वाँ सर-ए-बाज़ार क्यूँ न थे
वारिस किरमानी
ग़ज़ल
हम तो हैं मद्दाह उस के हम को सब मंज़ूर है
जो हुआ उस ने किया, जो कुछ हुआ अच्छा हुआ
जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर
ग़ज़ल
ऐ हुकूमत इस तरफ़ क्या तू ने सोचा है कभी
जो तिरे मद्दाह थे क्यों तेरे दुश्मन हो गए
राहिब मैत्रेय
ग़ज़ल
'बज़्म' मद्दाह भी है आप का और ज़ाकिर भी
रहम क्यों इस पे नहीं ऐ शह-ए-मर्दां होता