आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mahaarat"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "mahaarat"
ग़ज़ल
तू ने देखी मिरे हाथों की महारत लेकिन
वो मिरे पाँव मिरा चाक घुमाने वाले
इफ़्तिख़ार शाहिद अबू साद
ग़ज़ल
तख़्लीक़-कारी में तुझे हासिल महारत है मगर
किस इन्हिमाक-ओ-शौक़ से सोचा गया था एक मैं
काविश बद्री
ग़ज़ल
क़हक़हा मार के हँसने में महारत है हमें
लेकिन इक ज़ख़्म को ढकने में अभी कच्चे हैं
फ़रज़ाद अली ज़ीरक
ग़ज़ल
महारत हो गई चेहरों को पढ़ पढ़ कर हमें इतनी
कि अब आसाँ है चेहरे की जगह तस्वीर पढ़ लेना
मोहम्मद आज़म
ग़ज़ल
ना-मुकम्मल है ग़ज़ल ग़म की महारत के बग़ैर
हुस्न आता है कहाँ शे'रों में फ़नकारी से
लतीफ़ अहमद सुबहानी
ग़ज़ल
महारत भी अगर हो जाए शामिल जज़्ब-ए-सादिक़ में
तो पतली डोर भी मज़बूत धागे काट देती है