aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mahakne"
कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रखतू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ
क्यूँ न आ जाए महकने का हुनर लफ़्ज़ों कोतेरी चिट्ठी जो किताबों में छुपा रक्खी है
शाम की गुल-रंग हवा क्या चलीदर्द महकने लगा जज़्बात में
उस की यादों से महकने लगता है सारा बदनप्यार की ख़ुशबू को सीने में छुपा सकते नहीं
गर्म सुनसान क़रियों की धरती महकने लगीख़ाक रश्क-ए-इरम बन गई सो रहो सो रहो
दिल धड़कता है तो आती हैं सदाएँ तेरीमेरी साँसों में महकने लगीं साँसें तेरी
हवा-ए-हिज्र दिखाती है सब्ज़ बाग़-ए-विसालतो बाग़-ए-वहम में अपने महकने लगता हूँ
फूल अल्लाह ने बनाए हैं महकने के लिएऔर बुलबुल को बनाया है चहकने के लिए
उन ज़मीनों को महकने दो अभी पेड़ों सेवक़्त से पहले उन्हें काट के सहरा न करो
फूल की तरह सभी दाग़ महकने लग जाएँकाश ऐसा भी कहीं तर्ज़-ए-मसीहाई हो
कभी ग़ुंचे को महकने से कोई रोक सकाशौक़ अगर है तो फिर इज़हार से शर्मिंदा नहीं
वो शायद दिलों को धड़कने न देंगेगुलों से महकने का हक़ छीन लेंगे
दिल से फिर दर्द महकने की सदाएँ उट्ठेंकाश ऐसा हो मैं तेरी रग-ए-जाँ हो जाऊँ
तमाम जिस्म महकने लगा है अपने आपबदन में फैली हुई 'इश्क़ की वबा की क़सम
अभी से हाथ महकने लगे हैं क्यूँ मेरेअभी तो देखा नहीं है बदन को छू कर भी
तिरे लहू में बेदारी सी क्या शय हैलम्स ज़रा सा और महकने वाला मैं
'दौराँ' सुना है सूरत-ए-गेसू-ए-अम्बरींइमसाल फिर चमन में महकने लगी है शाम
यक-दम जो ये तंहाई महकने सी लगी थीझोंका जो अभी ख़ुशबू का गुज़रा था वो तुम थे
ज़िंदगी के रिश्ते भी दूर दूर तक निकलेरूह जाग उठती है फूल के महकने से
हवा के फूल महकने लगे मुझे पा करमैं पहली बार हँसा ज़ख़्म को छुपाए हुए
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