आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mahke"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "mahke"
ग़ज़ल
फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शमएँ जलीं
फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
ख़ुनुक सियह महके हुए साए फैल जाएँ हैं जल-थल पर
किन जतनों से मेरी ग़ज़लें रात का जूड़ा खोलें हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
यही बे-नाम पैकर हुस्न बन जाएँगे फ़र्दा का
सुख़न महके अगर कुछ इश्क़ की ख़ुश्बू निकल आए