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ग़ज़ल
रंग हर फूल में है हुस्न-ए-ख़ुद-आराई का
चमन-ए-दहर है महज़र तिरी यकताई का
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
ये भी देखो कि कहाँ कौन बुलाता है तुम्हें
महज़र-ए-शौक़ पढ़ो महज़र-ए-सरकार पे ख़ाक
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
वो जिन की दस्त-ख़तें महज़र-ए-सितम पे हैं सब्त
हर उस अदीब हर उस बे-अदब से वाक़िफ़ हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
मगर लिखवाए कोई उस को ख़त तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मिरे होने का ये तस्दीक़-नामा किस ने लिक्खा है
गवाही किस की मेरी ज़ात के महज़र पे रक्खी है
अब्दुल अहद साज़
ग़ज़ल
मोहर-ए-दस्त-आवेज़-ए-ग़म है हर बशर का दाग़-ए-ग़म
दिल है महज़र सोहबत-ए-गुम-कर्दा-ए-अहबाब का