aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mai-kado.n"
मय-कदों में तो आम पीते हैंहम निगाहों से जाम पीते हैं
बंद है मय-कदों के दरवाज़ेहम तो बस यूँही चल निकलते हैं
मय-कदों के भी होश उड़ने लगेक्या तिरी आँख की जवानी है
शाम होते ही दर्द के मारेमय-कदों की तरफ़ निकलते हैं
घनी मस्त पलकों के साए में नज़रेंबहकते हुए मय-कदों में शराबी
मा'बदों में भी मुझ को ऐ 'आबिद'मय-कदों से सलाम आते हैं
तुम्हारी नज़र के हसीं मय-कदों मेंउरूस-ए-ख़राबात इठला रही है
प्यास को छेड़ साक़ी हमारी न तूमय-कदों को हमीं ने बसाया यहाँ
हमारी तिश्ना-लबी का इमाम साक़ी हैहमारे जैसे सभी मय-कदों में पलते हैं
हर रोज़ मय-कदों में रही हाज़िरी मेरीज़ाहिद तिरी नमाज़ तो अक्सर क़ज़ा हुई
मय-कदों में भी ज़िक्र हो जिस काउस का फिर और मर्तबा क्या है
मुझ से लिखवाए कोई हिजव-ए-शराबमय-कदों में क़र्ज़ की पीता हूँ मैं
आँखों के मय-कदों से तमन्ना के शहर तकहर-गाम इक सराब मिला तिश्नगी मिली
मिरे लिए तो यही इंतिज़ाम काफ़ी हैकि मय-कदों में मिरे नाम का पियाला है
तेरे दर से ग़म ले कर जब गुनाहगार उठेमय-कदों का क्या कहना मस्जिदें सँवार आए
नहीं रहे वो हसीं मय-कदों के जल्वे अबचलो कि ढूँढें ग़मों के नए इलाजों को
'नसीम' पी गए अब मय-कदों में है क्या ख़ाकदवा के वास्ते लंदन में भी शराब नहीं
ख़ाक फाँकी मस्जिदों में जा रहे जब हम कभीमय-कदों में आ रहे तो बादा-पैमाई हुई
मय-कदों में तो बहुत पी है मगर अब 'आमिर'है यही चाह कि मुझ को वो पिलाने आए
अरे दीवाने ज़रा चल के उन्हें देख तो लेमय-कदों में है मज़ा शैख़ परी-ख़ानों का
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