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ग़ज़ल
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
प्यार वफ़ा का चलन न हो गर दिल से दिल को राह न हो
ऐसी रविश तो इस दुनिया को कर देगी मजहूल मियाँ
सय्यद शकील दस्नवी
ग़ज़ल
आँख अश्क बहाने पे है मामूर मिनल-इश्क़
और होंट हैं चुप रहने पे मजबूर मिनल-इश्क़
अम्मार यासिर मिगसी
ग़ज़ल
है मजबूरी वो फूलों को कहें काँटे बग़ैर इस के
नहीं मुमकिन कि दश्त-ए-ख़ार में मक़्बूल हो जाएँ
वाहिद नज़ीर
ग़ज़ल
अगर होता वो 'मजज़ूब'-ए-फ़रंगी इस ज़माने में
तो 'इक़बाल' उस को समझाता मक़ाम-ए-किबरिया क्या है
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ये भी सच है कि मोहब्बत पे नहीं मैं मजबूर
ये भी सच है कि तिरा हुस्न कुछ ऐसा भी नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं
मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं