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ग़ज़ल
दीदार बस्तवी
ग़ज़ल
वो मौसम बे-ख़ुदी के थे जो मौसम हम गुज़ार आए
कि जब चाहा तुम्हारे नाम से ख़ुद को पुकार आए
मलिका नसीम
ग़ज़ल
तू मिस्र की मलिका है मैं यूसुफ़-ए-कनआँ' हूँ
अफ़्सोस मगर गुम हैं तफ़रीक़ के दलदल में