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ग़ज़ल
मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं
इक आतिश-ए-ख़मोश हूँ जिस में धुआँ नहीं
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
नहीं सीखा तरीक़-ए-नाला-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ मैं ने
मोहब्बत को सिखाई है मोहब्बत की ज़बाँ मैं ने
डॉ. अहमर रिफ़ाई
ग़ज़ल
दिल को हम ने माइल-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ रहने दिया
ज़िंदगी को वक़्फ़-ए-आलाम-ए-जहाँ रहने दिया
नासिर अंसारी
ग़ज़ल
ख़त्म जिस दिन शोरिश-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ हो जाएगी
ज़िंदगी इंसान पर बार-ए-गराँ हो जाएगी
मसूद मैकश मुरादाबादी
ग़ज़ल
देखो तो मेरे नाला-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ की ओर
बान इस कड़क से जावे है कब आसमाँ की ओर
मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार
ग़ज़ल
मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया
थम ऐ रह-रौ कि शायद फिर कोई मुश्किल मक़ाम आया
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मेरे होंटों पे अजब आह-ओ-फ़ुग़ाँ रहने दिया
उस ने फ़ुर्क़त में भी ख़ामोश कहाँ रहने दिया
आसिम बुख़ारी
ग़ज़ल
अलम आह-ओ-फ़ुग़ाँ आँसू गिले बेचारगी ले कर
तुम्हारे पास आया हूँ मैं अपनी ज़िंदगी ले कर