aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mas.ale"
ज़िक्र-ए-जानाँ में ये दुनिया को कहाँ ले आएलोग क्यूँ मसअले बेकार के रख देते हैं
क्यूँ हैं कब तक हैं किस की ख़ातिर हैंबड़े संजीदा मसअले हैं हम
कहा भी था कि ज़ियादा क़रीब मत आओबताया था कि तुम्हें मुझ से मसअले होंगे
कुछ भी हो आईना-ए-दिल को मुसफ़्फ़ा रखिएजो भी गुज़रे मसल-ए-ख़ुसरव-ए-दौराँ चलिए
मसअले कुछ हुआ करते हैं हमेशा दुख केइश्क़ भी ऐसा है हर बार दुखी करता है
ख़िरद के मसअले हल करने वालोतुम्हें मेरे जुनूँ से काम क्या है
ज़रा सी बात है दिल में अगर बयाँ हो जाएतमाम मसअले इज़हार-ए-हाल ही के तो हैं
मोहब्बत इस लिए भी की गई थीहमारा शे'र कहना मसअला था
उस ने बरता था तकल्लुफ़मेरे भी कुछ मसअले थे
हम उलझते रहे फ़लसफ़ी की तरहऔर बढ़ते गए वक़्त के मसअले
मेरी सारी उलझन तो है तेरे उलझे बालों सेइस मसअले का हल तो ज़ुल्फ़ें सुलझाने से निकलेगा
मसअले भी मिरे हमराह चले आते हैंहौसले भी मिरे हमराह चले आते हैं
दुख के सब बादल छटेंगे धूप खुल कर आएगीमसअले पर तुम बड़ों से मशवरा करते रहो
बहुत से मसअले हैं ज़िंदगी मेंमगर तुझ को तो मैं भूला नहीं हूँ
छोड़ कर अपने ख़ुदा को तिरे पास आया हूँऔर अगर तू भी मिरे मसअले का कुछ न करे
मसअले ख़ून-ख़राबे से निपटते कब हैंप्यार से उन को मनाओ तो कोई बात बने
मसअले मेरे सभी हल कर देवर्ना यारब मुझे पागल कर दे
चलें सोचें ज़रा इस मसअले परहमारे दरमियाँ क्यों दूरियाँ हैं
अहल-ए-ख़िरद इसे न समझ पाएँगे 'फ़क़ीह'कुछ मसअले हैं मावरा फ़तह ओ शिकस्त से
हैं इल्तवा की गोद के पल्ले सब उस के मसअलेकिसी को हल नहीं किया हमेशा टालता रहा
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