आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maulaanaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "maulaanaa"
ग़ज़ल
दौर-ए-हयात आएगा क़ातिल क़ज़ा के ब'अद
है इब्तिदा हमारी तिरी इंतिहा के ब'अद
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
तुम यूँ ही समझना कि फ़ना मेरे लिए है
पर ग़ैब से सामान-ए-बक़ा मेरे लिए है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
ख़ाक जीना है अगर मौत से डरना है यही
हवस-ए-ज़ीस्त हो इस दर्जा तो मरना है यही
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
डर नहीं मुझ को गुनाहों की गिराँ-बारी का
तेरी रहमत है सबब मेरी सुबुकसारी का
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
तन्हाई के सब दिन हैं तन्हाई की सब रातें
अब होने लगीं उन से ख़ल्वत में मुलाक़ातें
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
अर्श तक जो बे-ख़ता जाता है ये वो तीर है
ग़ैर समझा है कि मेरी आह बे-तासीर है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
बे-ख़ौफ़-ए-ग़ैर दिल की अगर तर्जुमाँ न हो
बेहतर है इस से ये कि सिरे से ज़बाँ न हो
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
हम मअनी-ए-हवस नहीं ऐ दिल हवा-ए-दोस्त
राज़ी हो बस इसी में हो जिस में रज़ा-ए-दोस्त
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
ख़ूगर-ए-जौर पे थोड़ी सी जफ़ा और सही
इस क़दर ज़ुल्म पे मौक़ूफ़ है क्या और सही
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
किस से आज़ुर्दा मिरे क़ातिल का ख़ंजर हो गया
क्या हुआ जो आज यूँ जामे से बाहर हो गया
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
जुनूँ ही से मगर बिल्कुल दिल-ए-दीवाना ख़ाली है
न मानूँगा असर से ना'रा-ए-मस्ताना ख़ाली है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
सोज़-ए-दरूँ से जल-बुझो लेकिन धुआँ न हो
है दर्द-ए-दिल की शर्त कि लब पर फ़ुग़ाँ न हो
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
हरगिज़ न हो ऐ दिल ग़म-ए-जानाँ की शिकायत
करता है भला कोई भी मेहमाँ की शिकायत
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
है रश्क क्यों ये हम को सर-ए-दार देख कर
देने हैं बादा ज़र्फ़-ए-क़दह-ख़्वार देख कर