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ग़ज़ल
ईजाद ग़म हुआ दिल-ए-मुज़्तर के वास्ते
पैदा जुनूँ हुआ है मिरे सर के वास्ते
मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी
ग़ज़ल
देखी शिकन जो उन की जबीं की इताब में
मिस्तर के ख़त दिखाई दिए आफ़्ताब में
मुंशी ठाकुर प्रसाद तालिब
ग़ज़ल
जल्वे दिखलाने लगी सफ़हा-ए-तन पर क्या क्या
फ़र्त-ए-काहिश से हर इक रग रग-ए-मिस्तर के एवज़
मुंशी खैराती लाल शगुफ़्ता
ग़ज़ल
वरक़-ए-गुल पे तिरे चेहरे की लिखता तौसीफ़
रग-ए-बुलबुल से अगर रिश्ता-ए-मिस्तर होता
राजा गिरधारी प्रसाद बाक़ी
ग़ज़ल
ख़ून-ए-जिगर का हाल 'फ़तव्वत' मैं जब लिखा
मिस्तर का हो गया है हर इक तार तार सुर्ख़
फ़त्तावत औरंगाबादी
ग़ज़ल
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
'फ़िराक़' अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं